Thursday, 19 January 2017

HR Diaries - Harminder Singh

ऐच् आर डायरीज़ 

लेखक - हरमिंदर सिंह
पब्लिशर - ओपन क्रेयॉन्स
पृष्ठ - १८१

प्रथम प्रभाव -
"कुछ नौजवान जिन्होनें नयी दुनिया में कदम रखा, उलझ गए दौड़ भाग के पाटों में. ज़िन्दगी की पेचीदगियों को उन्होनें अपनी तरह से हल करने की कोशिश की. अनेक रोचक मोड़ आते गए. वे हँसे, रोये,घबराये, लेकिन रुके  नहीं। आखिर में उन्होनें पाया की नौकरी करना कोई बच्चों का खेल नहीं. उनकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा उनसे हर बार सवाल करता है की यह दौड़ यूँ ही क्यों चल रही है?  हमें क्यों लगता है की हम एक जगह बंधे हुए हैं? क्या यह हमारी नियति है?"

सूट बूट में ऑफिस एग्जीक्यूटिव को पुस्तक के कवर पे देख समझ आ रहा था की कहानी कारपोरेट जग  से प्रभावित है. किन्तु  मेरी  उत्सुकता तब बढ़ गयी जब कवर पे पढ़ा "मानव संसाधन विभाग की अनकही।" चाहे आपने किसी भी विभाग में काम किया हो, परंतु मानव संसाधन विभाग से कोई अछूता नहीं रहा. अनुभव कभी मीठे कभी कड़वे अवश्य रहते हैं, किन्तु इस विभाग  के अंदर का सच जानने को कोई भी व्यक्ति उत्सुक होगा।

मेरी नज़र से 
कहानी की शुरुआत में ही ये अनुभूति हो जाती है की ये हम में से किसी की भी कथा हो सकती है. आफिस का वह पहला दिन, वो झिझक, वो उत्सुकता - ये ऐसे अनुभव होते हैं जो आजीवन आपकी स्मृतियों में अपनी छाप बनाये रखते हैं. कुछ ऐसा ही अनुभव रहता है कथानक का, जिन्होंने अपने अनुभव इस कहानी के  माध्यम से व्यक्त किये हैं.

कहानी के शुरुआत का भाग और रोचक हो सकता था. जहां कथानक के पहले दिन का अनुभव कुछ फीका सा रहता है, वहीँ पाठक भी कहानी के साथ चलने का प्रयास करता है. उम्मीदों की गठरी बांधे जब कथानक अपने दफ्तर में दाखिल होता है, तो वहां का परिवेश उसे किसी अनजान शहर में होने की अनुभूति दिलाता है. कहानी की धीमी गति की तरह ही कस्थानक का उबाऊ कार्यक्तिक जीवसं भी गति पकड़ता है. जो चेहरे उसे अनजान और खडूस से प्रतीत होते थे, धीरे धीरे उन्ही के बीच उसका दिन कैसे बीत जाता है, उसे पता नहीं चलता. नौकरी करना बच्चों का कआ खेल नहीं, और कथानक बार बार ये सन्देश पाठकों तक पहुंचाता है.

मानव संसाधन विभाग मेंकथानक का अनुभव किसी आम कर्मचारी की भांति ही रहता है. जहाँ एक तरफ उन्हें विजय और तारा जैसे सच्चे मित्र मिलते हैं, वहीँ विभाग में कई रोचक, कई टेढ़े पात्र भी टकराते हैं. खडूस बॉस, चाटुकार कर्मचारी, और कुछ ऐसे लोग जो ऑफिस के गरम माहौल को अपनी हंसी मज़ाक से हल्का फुल्का रखते हैं.  कहानी में रोज़ मर्रा का कार्यकारी जीवन झलकता है. रोज़ के हलके फुल्के किस्से, चाय पे  चर्चा,मित्रों के साथ घूमना,चुगलियां,ठहाके और मौज मस्ती पाठक की रूचि बढ़ाते हैं. यदि आप कार्यारित हैं, तो आप अपने कार्यकारिक जीवन की झलकियां कहानी में देख पाएंगे. ऑफिस के वो छोटे छोटे किस्से, पिकनिक, गहमा गहमी, डेड्लाइंस  - लेखक ने मनो अपने सारे कार्यकारिक अनुभव पुस्तक में उड़ेल दिए हों.

जैसे जैसे कहानी गति पकड़ती है, पाठक एक रोचक लेखन शैली देखना चाहते हैं. किन्तु ऐसा लगता है की लेखक ने अपने चर्चित ब्लॉग वृद्धग्राम की तरह ही लेखन शैली संजीदा और धीमी रखी है.

कहानी में जहाँ हंसी के पल हैं, वहीँ रुला देने वाले भाग भी हैं. अपने साथ कार्यारित कर्मचारियों से हमारा एक पारिवारिक नाता सा बांध जाता है. सब सुख और दुःख फिर साझे प्रतीत होते हैं. तारा की बीमारी और देहांत कथा के कुछ ऐसे ही भाग हैं. अंत  बेहद भावुक है. कथानक के समक्ष कई सवाल हैं जो पाठक के मन में भी  घर बना लेते हैं. नौकरी  का असली उद्देश्य क्या है? कार्यकारी जीवन में संतोष किसे कहते हैं? ये ऐसे सवाल हैं जो कथानक के ही नहीं, अपितु हर पाठक के मनन में आएंगे.

परंतु एक सवाल मेरे मन में प्रायः उथल पुथल मचा  रहा था. ये कहानी मानव संसाधन की अनदेखी  कहाँ से प्रतीत होती है? ये तो एक तरह से कथानक के कार्यकारी अनुभवों की एक दैन्द्विनी सी जान पड़ती है. शायद इसलिए शुरू के कुछ पृष्ठ पाठक का ध्यान बाँधने को जूझते हैं.

यदि आप मानव संसाधन का जीवन जानने के उत्सुक हैं तो शायद निराश हाथ लगे. किन्तु यदि आप इसे एक साधारण कॉर्पोरेट जीवन के अनुभवों से भरी एक कथा के  रूप में पढ़ेंगे तो पुस्तक का मज़ा ले पाएंगे.

ये समीक्षा ब्लोगअड्डा के लिए है.




Saturday, 14 January 2017

Book Review - Colorful Notions - The Roadtrippers 1.0

Author - Mohit Goyal
Publisher - Srishti Publishers
Genre - Fiction
Pages - 194
Price - Rs. 175


First Impressions



Three travellers and an SUV in a desert make for an apt cover, given that the book is about road trips. I was skeptical if this was a road trip guide, when the blurb on the back saved me. When the story is about three crazy youngsters giving up their high paying job and comfortable personal life to drive ten thousand kilometres across India, just for fun, you just can't miss this story.

My View
Being a travel enthusiast, I was super excited when this book came for review. After all, those who have been on road trips know there is nothing more rejuvenating than discovering new places and taking the road less travelled. I have often been on unplanned road trips and believe me, the kind of kick it gives is phenomenal! 

Perhaps a similar thought came in the minds of Ab, Sasha and Unnati when they decided to fulfil their long cherished dream of setting out on a road trip. And this was not to be a simple Delhi-Jaipur road trip. This was about travelling across 25 destinations across the length and breadth of the country; a whopping 10,650 kilometres, 75 days and a road tripping experience that could be made into a movie! Now that is ambitious, I say.

As they travel across destinations like Corbett, Haridwar, Ladakh, Bhangarh Fort, Goa, Sundarbans and many more, they realise the journey was to be more than just a road trip. Gradually the trip transforms into a journey of self discovery, of facing the inner demons and of fighting the fears that were holding them from following their heart. The journey also gave them some important lessons about relationships, but most importantly it gives them a fresh perspective on life. It is the journey that matters more than the destination and their experience in a way reinforces this saying. The baggages of the past are gradually done away with, for present is all that matters.

What fun would be a trip when all goes as planned. So the book is full of comedy of errors. Somewhere along the way, the reader too becomes a traveller, for the characters and events are so well portrayed that one gets glued to the story. 

Whether you are looking for a travelogue or a light read, I recommend this book as a one time leisure read. A lot different than the travel books on bookshelves yet each one of us would be able to identify some or the other aspect with our life. A book that teaches one to live in their present and throw emotional baggage behind. 


Hits


  • Refreshing change from the usual travel books I have read. The story has a certain fun element to it which binds the reader to the story. You don't realise when you feel like a part of this crazy gang.
  • I loved the way the journey gives an entirely different perspective to the characters’ lives. Yes, road trips often take one on the path to self discovery.
  • The narration is simple yet engaging.

Misses


  • The travel enthusiast in me was left looking for more insights on the destinations. I was curious if the author has indeed traveled to these destinations.


This review is for Writersmelon